पुराने लखनऊ के इस नन्हे बालक को लोग कहते है दूनियां का आठवां अजूबा

जब सड़क पर घोड़ा दौड़ाता है नन्हा घुड़ सवार तो दांतों तले उंगलियां दबा लेते है लोग

मोहम्मद शमशुददीन

लखनऊ।  पुराने लखनऊ के एक गरीब घर मे जन्मे नौ साल के मासूम अमन की लम्बाई सिर्फ 48 इन्च है लेकिन अमन अपनी लम्बाई से कही ऊॅचे घोड़े की सवारी ऐसे करता है जैसे वो 9 साल का मासूम नही बल्कि मंझा हुआ ट्रेनिंग याफता टाप क्लास का कोई घुड़ सवार हो । अमन जब अपने मोहल्ले की तंग गली से शानदार घोड़े पर सवार होकर सड़क पर घोड़ा दौड़ाता हुआ निकलता है तो लोग इस मासूम बच्चे की हिम्मत और सलीके से घोड़ा दौड़ाने का हुनर देख कर दंग रह रह जाते । नन्हा घुड़ सवार अमन घोड़े की पीठ पर सिर्फ बैठता ही नही है बल्कि सड़क पर तेज़ रफ्तार से दौड़ते हुए घोड़े पर सवार होकर करतब भी दिखाता है। पुराने लखनऊ के लोग इस नन्हे घुड़ सवार की हैरत अंगेज़ घुड़ सवारी के कायल है और कुछ लोग तो इस नन्हे घुड़ सवार को दुनियां का आठवा अजूबा भी कहते है। नन्हे घुड़ सवार की मौजूदा समय मे उम्र नौ साल है लेकिन अमन पिछले करीब तीन साल से घोड़े की सवारी कर रहा है इस नन्हे घुड़ सवार की घोड़े की सवारी पर इसके माता पिता को इतना भरोसा है कि नन्हा घुड सवार अकेले ही घोड़े पर सवार होकर घर से निकल जाता है और काफी दूर दूर तक सड़क पर घोड़ा दौड़ाता रहता है लेकिन माता पिता को अपने बच्चे के घोड़ा दौड़ाने के हुनर पर इतना भरोसा है कि वो बेफिक्र रहते है। नन्हा घुड़ सवार जब शानदार घोड़े पर सवार होकर शहर की सड़को पर निकलता है तो तमाम लोग इसका घोड़ा दौड़ाने का हुनर देख कर इसके प्रशंसक हो जाते है कई लोग तो इस नन्हे घुड़ सवार के साथ सेल्फी खिचवा कर ऐसे खुश होते है जैसे वो किसी गरीब परिवार के बच्चे के साथ नही बल्कि किसी सेलीब्रेटी के साथ फोटो खिंचवा रहे हो। आज के आधुनिक दौर मे जब बच्चे इन्टरनेट मे उलझे रहते है तब इस बच्चे का घोड़े से अटूट प्रेम देख कर यही कहा जाएगा कि टैलेन्ट गाॅड गिफ्टेड भी होता है क्यंूकि इस बच्चे ने घोड़े की सवारी की कही ट्रेनिग नही ली है घोड़े से बेपनाह मोहब्बत करने वाला अमन जिस घोड़े की सवारी करता है उसे अपने माता पिता की तरह से ही प्यार कर उसकी सेवा करता है अमन घोड़े की सवारी करने से पहले स्टूल पर खड़ा होकर उसकी मालिश करता है और सैर से लौटे के बाद भी मालिश करता है खुद खाना खाने से पहले वो अपने घोड़े को भोजन कराता है ।

गरीब पिता ने बच्चे की ज़िद पर खरीदी थी 71 हज़ार की काली घोड़ी

पुराने लखनऊ के नख्खास के पास सराय आगामीर बिल्लौचपुरा मोहल्ले मे पत्नी शबनम दो बेटो 15 वर्षीय अयान और 9 वर्षीय अमन के साथ रहने वाले मोहम्मद अन्सार अपने बचपन से ही टांगा चलाते है मौजूदा समय मे टंागे का चलन समाप्त हो रहा है लेकिन परिवार के भरण पोषण के लिए वो अब खड़खड़े पर सामान ढोते है । अन्सार का छोटा बेटा अमन कक्षा दो मे पढ़ता है लेकिन 5 साल की उम्र से ही उसे घोड़े की सवारी का शौक जाग गया । अमन ने अपने पिता से घोड़ा खरीद कर देने की ज़िद की तो गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले अन्सार ने बेटे को समझाने का प्रयास किया लेकिन घोड़ा खरीदने की ज़िद पर अड़ा अमन मानने को तैयार नही था । अन्सार ने किसी तरह पैसे जोड़ गांठ कर अपने बेटे का शौक पूरा करने के लिए देवें के मेले से 71 हज़ार रूपए की काले रंग की शानदार घोड़ी अपने पुत्र के लिए खरीदी थी इस घोड़ी का नाम अमन ने काजल रख्खा था काजल घर आई तो अमन की खुशी का ठिकाना नही रहा कुछ दिनो तक अमन ने काजल से दोस्ती की और जब काजल और अमन मे अटूट दोस्ती हो गई तो अमन ने कालज की पीठ पर सवारी करना शुरू कर दी अन्सार ने जब अपने पुत्र को काले रंग की घोड़ी खरीद कर दी थी तब अमन की उम्र 6 साल थी लेकिन 6 साल की छोटी उम्र मे ही अमन ने अपने से कई गुना ऊॅची घोड़ी पर सवारी करना शुरू कर दी। अमन के पिता अन्सार कहते है कि हमने अपने पुत्र को घोड़े पर बैठने का हुनर सिखाया है लेकिन घोड़ा दौड़ने और दौड़ते हुए घोड़े पर करतब दिखाने का हुनर हमने इसे इस लिए नही सिखाया क्यूकि उन्हे खुद ही ये हुनर नही आता है। अंसार कहते है कि मुझे अपने पुत्र पर गर्व है क्ंयूकि मेरा बेटा जानवर से भी इन्सानो की तरह प्यार करता है और खुश रहता है।

घोड़ी काजल की मौत के बाद खूब रोया था नन्हा घुड़ सवार अमन

अपने बच्चे की ज़िद पूरी करने के लिए अन्सार ने 71 हज़ार की जो काले रंग की घोड़ी खरीदी थी उस काले रंग की घोड़ी पर अमन ने करीब ढाई साल तक सवारी की लेकिन कोरोना काल आने की वजह से लगे लाक डाउन के दौरान घोड़ी काजल सड़क पर दौड़ नही पाई और घर मे बंधे बंधे बीमार हो गई । काजल के बीमार होने के बाद अंसार और अमन ने उसकी दवा इलाज मे कोई कमी नही छोड़ी लेकिन दिन पे दिन काजल की हालत बिगड़ती गई और करीब तीन महीने की बीमारी के बाद एक दिन काजल का निधन हो गया। मां समान घोड़ी काजल की मौत का सदमा उसके नन्हे सवार अमन को लग गया काजल के निधन के बाद अमन ने भी खाना पानी और खुश रहना छोड़ दिया लेकिन समय के साथ साथ अमन ने अपने आपको सम्भाला अब घोड़े की सवारी करने के लिए अमन के पास अपना खुद का घोड़ा नही है लेकिन कई लोग ऐसे है जिनके पास शानदार घोड़े है और वो लोग अमन को सवारी करने के लिए अपना घोड़ा देते है अमन आज भी सड़क पर तरह तरह के घोड़ो पर शान की सवारी करता हुआ देखा जाता है।

पारिवारिक सदस्य की तरह किया था काजल का अंतिम संस्कार

मासूम घुड़ सवार अमन को करीब ढाई साल तक अपनी पीठ पर बैठा कर सड़क पर दौड़ने वाली खूबसूरत काले रंग की काजल नाम की घोड़ी का जब निधन हुआ तब अन्सार के परिवार को लगा कि जैसे उसके परिवार के किसी सदस्य का निधन हुआ है । आम तौर पर जानवर के मरने के बाद लोग उसे सामान्य तौर से ज़मीन मे गढढा खोद कर दफ्ना देते है लेकिन काजल की मौत के बाद ऐसा नही हुआ। अमन की प्यारी काजल के लिए अन्सार ने बाकायदा कब्र खुदवाई काजल के शव का गुस्ल हुआ और बाकायदा उसे कफ्नाया गया और पूरे सम्मान के साथ काजल के शव को कब्र मे उतारा गया और काजल की कब्र पर लोगो ने उसी तरह से मिटटी चढ़ाई जैसे किसी इन्सान की कब्र पर लोग चढ़ाते है। काजल की मौत के बाद कई दिनो तक नन्हे घुड़ सवार अमन ने उसके नाम का खाना दूसरे जानवरो को खिलाया काजल की मौत के बाद अमन खुर्पी लेकर जाता था और घांस काट कर लाता था घांस लाकर घर मे रखता था और घांस को देख कर उसके आॅसू निकलते थे फिर उस घांस को किसी दूसरे घोड़े को अमन खिला देता था । जानवार और इन्सान के बीच की मोहब्बत का ये अटूट नज़ारा सराय आगामीर मोहल्ले के लोग देख कर अपने आपको गौरान्वित समझते है मोहल्ला वासियों को अमन पर गर्व है वो कहते है कि जिस दौर मे इन्सान इन्सान से मोहब्बत नही कर रहे है उस दौर मे एक बच्चे की घोड़े से बेपनाह मोहब्बत ईश्वर का ही करिश्मा है।

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