इन्सानों के अन्दर मौजूद लालच रूपी लुटेरे ने एक दूसरे को खूब लूटा


ख़ालिद रहमान
हम भले ही अपराध की सोंच रखने वालो के द्वारा अन्जाम दी जाने वाली वारदातो जैसे चोरी, लूट, काला, बाज़ारी को जालसाज़ी आदि घटनाओ को अपराध की नज़र से देख कर अपराध के प्रति अपने नज़रिए को समय समय पर स्पष्ट करते हुए अपराध की निन्दा करते रहते है और अपराध की बढ़ती घटनाओ का ज़िम्मेदार अपराधियो और पुलिस को बताने मे भी पीछे नही रहते है लेकिन क्या हमने कभी अपने अन्दर झांक कर देखा है कि हमारे दिलो के अन्दर भी एक लालच रूपी लुटेरा बसता है जिसका खात्मा न तो पुलिस कर सकती है और न सरकार कर सकती है। हमे अपने अन्दर मौजूद लालच रूपी लुटेरे को खुद ही समाप्त करना होगा। हमने इन्सानो के अन्दर मौजूद लालच रूपी लुटेरे की झलक 8 नवम्बर 2019 की रात लखनऊ के बाज़ारो मे देखी थी जब टीवी न्यूज़ चैनलो पर समाचार आया कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्षो पुराने बाबरी मस्जिद राम जन्म भूमि के मुकदमे का फैसला 9 नवम्बर की सुबह साढ़े दस बजे सुनाया जाएगा। फैसले की खबर रात करीब नौ बजे पूरे देश मे फैल गई। करोड़ो लोग किसी अन्जाने डर से भयभीत थे । खबर आने से पहले जो दुकाने बन्द हो चुकी थी वो दोबारा खुल गई । किसी अन्जाने डर से भयभीत लोग अपने घरो से हाथ मे बड़े बड़े थैले लेकर बाज़ारो मे आ गए। रोज़मर्रा के उपयोग के सामान वाली दुकानो पर ग्राहको की भीड़ उमड़ पड़ी। रात के समय जब दुकाने बन्द होने का समय था तब बाज़ार ग्राहको से गुलज़ार हो गए। अब शुरू हुआ दुकानदारो के अन्दर मौजूद लालच रूपी लुटेरी सोंच का दौर । पहले से महंगी बिक रही प्याज़ का भाव कुछ दुकानदारो ने सौ रूपए के उपर कर दिया । आलू 90 रूपए किलो तक बिकने लगा 24 रूपए किलो बिकने वाला आंटा 30 रूपए किलो तक पहुॅच गया तेल दाल नमक शक्कर धनिया मिर्ची लहसुन अदरक चांॅवल आदि के भाव भी आसमान छू गए । सबसे ज़्यादा भीड़ तो दवाओं की दुकानो पर उमड़ पड़ी । कुछ दवा की दुकाने ऐसी थी जहंा एमआरपी को दरकिनार कर दवा के दुकानदारो ने जीवन रक्षक दवाओं के मनमाने दाम वसूल किए । 50 रूपए लीटर बिकने वाला दूध भी 70 रूपए लीटर तक पहुॅच गया । मौके का फायदा उठा कर मनमाने दाम वसूलने वाले दुकानदार शायद ये भूल गए कि कोई एक दुकानदार किसी एक ग्राहको को नही लूट रहा है बल्कि सभी दुकानदार एक दूसरे को लूट रहे है । मसलन आंॅटा बेचने वाले दुकानदार ने आॅटे के दाम मे इज़ाफा कर सब्ज़ी वाले को आटंा मंहगी कीमत पर बेचा तो सब्ज़ी वाले ने आॅटे के दुकानदार को भी नही बख्शा सब्ज़ी वाले ने आॅटे के दुकानदार को महंगी सब्ज़ी बेच कर नाजायज़ फायदा उठाने का काम किया । दूध वाले ने दूध महंगा कर लोगो से मनमाने पैसे वसूले लेकिन दूध वाले ने भी तो घरेलू उपयोग की चीज़े आॅटा दाल चावल सब्ज़ी आदि मंहगी कीमत पर खरीदी । दवा का दुकानदार भी दवा खाकर अपना पेट नही भर सकता इस लिए मौके का फायदा उठा कर महंगी दवांए बेचने वाले दुकानदार ने एक तरफ दवा के दाम बढ़ा कर मरीज़ो से ज़्यादा पैसे वसूले तो उसने भी अपने घर के उपयोग के लिए 8 तारीख की रात मे जो मंहगे सामान खरीदे उसमे वो भी लालच रूपी लुटेरे का शिकार होकर लूटा गया। बाबरी मस्जिद राम जन्म भूमि मुद्दे पर आने वाले फैसले के बाद किसी अन्जाने डर से भयभीत लोगो द्वारा घरेलू उपयोग के सामान महंगी कीमत पर खरीद कर एक दूसरे को लूटा गया। इस महत्वपूर्ण रात मे बाज़ारो मे सिर्फ दुकानदारो मे ही मौके का फायदा उठाने की होड़ नही दिखी बल्कि दुकानो और ठेले खुमचो पर खरीददारी करने वाले तमाम ग्राहक ऐसे भी दिखे जिन्होने भीड़ का फायदा उठाते हुए दुकानदार की नज़रो से बचते हुए घरेलू उपयोग के सामान पर हाथ साफ किया । 8 तारीख की रात लखनऊ शहर मे सिर्फ दुकानदारो मे ही लालच रूपी लुटेरा नज़र नही आया बल्कि ई रिक्शा ,आटो , टैम्पो चलाने वाले चालको के अन्दर का लालच रूपी लुटेरा बाहर आया और कुछ चालको ने इस रात मे किराए मे इज़ाफा कर दिया जिस स्थान का किराया 5 रूपए था वहंा के 10 से 12 रूपए तक वसूले गए लेकिन जो चालक सवारियों से ज़्यादा किराया वसूल रहे थे उनके घरो के लोग कही किसी दुकान पर लालच रूपी लुटेरे का शिकार होकर महंगा सामान खरीद कर हंसंी खुशी लुट रहे थे। ऐसे एक दूसरे को लूटने का ये सिलसिला रात भर चलता रहा सुबह हुई साढ़े दस बजे से पहले करोड़ो देशवासी टीवी के सामने डट गए माननीय उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया जिसे देशवासियो ने शान्ती से स्वीकारा और पहले से किसी अन्होनी से आश्ंांिकत लोगो ने राहत की संास ली और आनन फानन मे रात मे महंगा सामान खरीदने की भूल स्वीकार करते हुए पछतावा ज़ाहिर किया। 9 नवम्बर की सुबह देश वासियो के लिए अमन की सुबह साबित हुई लेकिन 9 तारीख की सुबह होने से पहले आठ तारीख की रात मे तमाम लोगो ने अपनी छोटी सोंच जाहिर करते हुए मौके का खूब फायदा उठाया । क्या आपस दारी की ये लूट घसोट सही कही जाएगी बिल्कुल नही क्ूयंकि न तो देश का कानून और न ही किसी मज़हम का कानून किसी को भी ये इजाज़त देता है कि किसी भी हालात का कोई फायदा उठा कर किसी को भी नुकसान पहुॅचाए । मुझे लगता है कि हम अगर अपने अन्दर के लालच रूपी लुटेरे को खुद मार दे तो समाज मे खुशहाली आएगी तो आओ मिल कर खात्मा करें अपने अन्दर के लालच रूपी लुटेरे का ।

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