खालिद रहमान
पत्रकारिता देश और समाज की सेवा का एक सशक्त माध्यम है जो देश और समाज हित की बात को पूरी मुस्तैदी के साथ देश दुनिया के करोड़ो लोगो के सामने पहुॅचा सकती है। पत्रकारिता खबरो के नाम पर पैसा कमाने का प्लेटफार्म नही बल्कि समाज के दबे कुचलो की आवाज़ को मज़बूती के साथ उठाने का एक बेहतरीन ज़रिया है लेकिन पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे मे राष्ट्रीय स्तर से लेकर मोहल्ला स्तर तक अब कुछ ऐसे तथाकथित लोगो की इन्ट्री हो गई है जो न सिर्फ पत्रकारिता की आड़ में अपने निजी स्वार्थो की पूर्ती गैर कानून तरीके से कर रहे है बल्कि छोटे बड़े दोनो ही स्तरो पर कुछ कथित पत्रकार खबरो को प्रकाशित करने के लिए पैसो की वसूली भी कर रहे है । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगातार ऐसी खबरे मिल रही है जो पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे पर दाग लगा रही है। खबर प्रकाषित करने के नाम पर पैसे मांगने वाले एक पत्रकार से हमारा भी सामना हुआ था शनिवार की शाम थी और तारीख थी 27 फरवरी 2021 स्थान था पत्रकारो का सेन्टर प्वाईन्ट यूपी प्रेस क्लब जब हम यहंा आयोजित होने वाले एक सम्मान समारोह के समाचार का संकलन करने के लिए गए हुए थे । सम्मान समारोह शुरू होने से पहले ही करीब 6 बजे का समय था जब गेट के पास से तेज़ तेज़ आवाज़े आने लगी हम उठ कर गए तो नज़ारा पत्रकारिता को शर्मसार करने वाला था यहंा के कर्मचारियो से एक व्यक्ति भिड़ा हुआ था और उन्हे अर्दब मे लेने का प्रयास कर रहा था । जानकारी करने पर मालूम हुआ कि कोट पैन्ट पहने अपनी पीठ पर पिटठू बैग लटकाए ये व्यक्ति अपने अपको पत्रकार बता कर कुछ लोगो से समाचार प्रकाषित करने के एवज़ में पैसो की मांग कर रहा था । कर्मचारियो पर रौब गांठ रहे कोट पैन्ट वाले इस व्यक्ति की तेज़ आवाज़े सुन कर केबिन के अन्दर बैठे वरिष्ठ पत्रकार बाहर आए और कर्मचारियो द्वारा इसकी शिकायत सुन कर आग बबूला हो गए। वरिष्ठ पत्रकारो द्वारा अपने आपको पत्रकार बताने वाले इस व्यक्ति को कड़ी हिदायते देकर चेतावनी दी गई कि वो जिस समाचार पत्र मे कार्यरत है उस समाचार पत्र की एक प्रति कल की तारीख की कल लेकर आए और अगर ऐसा नही कर पाए तो दोबारा प्रेस क्लब मे नज़र न आए । अपने आपको पत्रकार बताने वाले इस व्यक्ति को वहा मौजूद वरिष्ठ पत्रकारो द्वारा खूब लताड़ा गया । यूपी प्रेस क्लब मे पत्रकरिता को शर्मसार करने वाला ये नज़ारा सिर्फ हमने ही नही बल्कि वहां उपस्थित कई अन्य पत्रकारो ने भी देखा और अफसोस भी ज़ाहिर किया। विश्वस्त सूत्र बता रह है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पत्रकारो की बड़ी जमात के बीच कुछ ऐसे ही कथित पत्रकारो का एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो खबर दिखाने खबर छापने के नाम पर लोगो से पैसे की मांग कर पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे को शर्मसार कर रहा है। खबर प्रकाषित करने के एवज़ मे पैसे की मांग करने वाले कथित पत्रकारो के गिरोह मे एक दर्जन लोगो के शामिल होने की जानकारियां मिल रही है। सूत्रो के अनुसार सूटबूट अच्छी साज सज्जा वाले कथित पत्रकारो के इस गिरोह मे शामिल कथित पत्रकार पत्रकारिता के सेन्टर प्वाईन्ट कहे जाने वाले यूपी प्रेस क्लब मे भी सक्रिय है और यही से ये तथाकथित पत्रकार ये पता भी लगाते है कि और कहा कहा पत्रकार वार्ता का आयोजन हो रहा है। जगह जगह आयोजित होने वाली प्रेस वार्ता मे पहुॅच कर ये कथित पत्रकार चाय नाशता भोजन का मज़ा तो लेते ही है साथ ही प्रेस वार्ता के आयोजक के सामने अपने आपको मझा हुआ पत्रकार साबित कर बेबुनियाद सवाल पूछ कर पहले उन पर अपना दबदबा कायम करते है फिर पत्रकार वार्ता समाप्त होने के बाद आयोजक से एकान्त मे मिल कर उनसे खबर प्रकाषित करने के एवज़ मे पैसे की मांग करते है। पत्रकारिता समाज को रौशनी दिखाने वाली एक किरण है पत्रकरिता अपराध के दलदल मे घुस कर अपराध को उजागर करने वाला एक कमल है लेकिन पत्रकारिता की इसी किरण और इसी कवंल को कुछ कथित पत्रकार दाग लगा रहे है। अपने आपको पत्रकार बता कर प्रेस क्लब के कर्मचारियो पर रौब गांठ रहे व्यक्ति को जिस तरह से वहा मौजूद वरिष्ठ पत्रकारो द्वारा सबक सिखाया गया वो वास्तविक पत्रकारो के लिए एक संदेश है कि ऐसे लोगो का बहिष्कार किया जाना चाहिए जो निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे मे आए है तभी पत्रकारिता के गिरते हुए सम्मान और विलुप्त हो रही विश्वसनीयता को बचा पाना सम्भव होगा।
खबर प्रकाशित करने के नाम पर पैसे मांगने वाले ने दिया अजीब तर्क
अपने आपको पत्रकार बताने वाले इस व्यक्ति द्वारा खबर के नाम पर पैसे कमाने का जो तर्क दिया गया उसे किसी भी दृष्टि से जायज़ नही ठहराया जा सकता है। यूपी प्रेस क्लब में वरिष्ठ पत्रकारो द्वारा बेईज़्ज़त किए गए अपने आपको पत्रकार बताने वाले इस व्यक्ति का कहना था कि अगर हम खबर प्रकाशित करने के एवज़ मे किसी से कुछ पैसे ले लेते है तो इसमे गलत क्या है । हम कैसे अपने परिवार का भरण पोषण करे, कैसे अपनी गाड़ी मे पेट्रोल भरवाए कैसे दिन भर का खर्च चलाए मोबाईल का खर्च कहंा से लाए । खबर प्रकाशित करने के एवज़ मे पैसे लेने की बात को सही साबित करने पर आमादा इस व्यक्ति को शायद ये ज्ञान नही है कि खबर का प्रकाशन पूरी तरह से निःशुल्क होता है । खबर के एवज़ मे किसी भी तरह का शुल्क नही लिया जा सकता है । न्यूज़ चैनल , समाचार पत्र या न्यूज़ पोर्टल का संचालन करने के लिए उसमे आने वाले आर्थिक व्यय की पूर्ति के लिए विज्ञापन लिया जा सकता है लेकिन खबर प्रकाशित करने के एवज़ मे किसी भी तरह का शुल्क लिया जाना गैर कानूनी है। परिवार के भरण पोषण के लिए आमदनी का बेतुका तर्क देने वाले इस नादान को शायद ये नही मालूम कि अगर पत्रिकारिता उसका शौक है जुनून है तो उसके परिवार के भरण पोषण की भी उसी पर ज़िम्मेदारी है । पत्रकारिता ये कतई नही कहती है कि अपने भूखे परिवार की भूख मिटाने के लिए पत्रकारिता के नाम का सहारा लेकर खबर प्रकाशित करने के नाम पर अवैध वसूली की जाए । पत्रकारिता ये भी मना नही करती है कि पत्रकारिता के साथ साथ पत्रकार अपने परिवार के भरण पोषण के लिए कोई अन्य व्यवसाय न करे । पत्रकारिता के जुनून से लबरेज़ पत्रकार के सामने ये विकल्प पूरी तरह से खुला हुआ है कि वो पत्रकारिता के साथ साथ कोई ऐसा वैध व्यवसाय भी करे जिससे परिवार भी चलता रहे और पत्रकारिता पर भी आॅच न आए।
न्यूज़ पोर्टलो को अछूत समझने वालो सच्चाई से सामना करो
मौजूदा समय में देश दुनिया की जनता को घर मे बैठ कर टीवी देखने या अखबार पढ़ने का समय कम ही मिलता है पिछले कुछ वर्षो मे देखा गया है कि टीवी के तमाम न्यूज़ चैनल और लगभग सभी अखबार अब लोगो के मोबाईल के अन्दर दाखिल हो गए है । आज के समय मे अधिक्तर लोग न्यूज़ चैनलों और अखबारो पर अपने मोबाईल पर ही चलते फिर नज़र रखते है देश के लगभग सभी अखबारो ने अपनी अपनी वेबसाईटे लांच कर दी है और न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से अब वेब मीडिया के पत्रकार देश और समाज मे घटित होने वाली घटना दुर्घटनाओ से देश की जनता को अवगत कराने का काम कर रहे है । इन्टरनेट क्रान्ति के इस दौर मे शहर के कुछ पत्रकार न्यूज़ पोर्टलो से जुड़े पत्रकारो को फर्ज़ी और न्यूज़ पोटलो को अछूत मान रहे है । तआज्जुब की बात तो ये है कि न्यूज़ पोर्टलो को अछूत मानने वाले इन पत्रकारो मे अधिक्तर ऐसे बड़बोले पत्रकार शामिल है जिनकी पहचान न्यूज़ पोर्टलो के माध्यम से ही हुई है लेकिन गलत फहमी के जाल मे फसे घमण्ड मे चूर ये पत्रकार अपने अन्दर छुपी सच्चई से सामना करना ही नही चाहते है। न्यूज़ पोर्टल हो या समाचार पत्र या कोई न्यूज़ चैनल पत्रकारिता से जुड़ा कोई भी संस्थान हो उसकी ज़िम्मेदारी है कि पत्रकारिता के माध्यम से सच्चाई को देश और समाज के समने लाया जाए लेकिन अगर कोई व्यक्ति पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे की आड़ में गलत कार्यो को अन्जाम देकर निजी स्वार्थो की पूर्ती कर रहा है तो उसे पत्रकार की श्रेणी मे न रखना ही नही चाहिए । अगर हमारी नज़र मे कोई व्यक्ति देश और समाज विरोधी कार्यो मे लिप्त है तो हमारी ज़िम्मेदारी है कि उसे अपने न्यूज़ पोर्टल अपने समाचार पत्र अपने न्यूज़ चैनल से दूर रखते हुए खबर के माध्यम से उसके चेहरे को तथ्यो के साथ बेनकाब करे न कि समस्त न्यूज़ पोर्टलो को ही फर्ज़ी पत्रकारो का गढ़ कह कर पत्रकारिता की ज़िम्मेदारी निभा रहे पत्रकारो का मनोबल तोड़ कर उनकी मान मर्यादा से खिलवाड़ करें।
कहा से आई बिना तन्खा वाले इस बड़बोले पत्रकार के पास इतनी शानो शौकत
तीन मंज़िला मकान एयर कन्डीशन से युक्त महल नुमा घर के कमरे आलीशान कमरो मे पड़े मंहगे सोफे और घर के बाहर खड़ी लग्ज़री गाड़ी परिवार के सभी सदस्यो के पास दर्जनो की संख्या मे महगे मोबाईल फोन ये सब ऐशो आराम की वस्तुए है और इन्हे खरीदना अपराध नही है लेकिन अगर करोड़ो रूपए की शान ओ शौकत वाले कुछ लोगा अपने अपको वरिष्ठ पत्रकार कहने लगे और पत्रकारिता की आड़ में अपने काले कारनामो को छुपाने लगे तो ये विषय चिन्ता का ज़रूर है। विश्वस्त सूत्रो के अनुसार लखनऊ पश्चिम क्षेत्र मे एक ऐसा ही पत्रकार रहता है जो एक सम्मानित समाचार पत्र मे जुगाड़ लगा कर और समाचार पत्र के लोगो की जी हुज़ूरी कर इस सम्मानित समाचार पत्र मे अपराध संवाददाता के पद पर आसीन हो गया है । सूत्रो के अनुसार इस बड़बोले पत्रकार की रूची समाचार लिखने मे न के बराबर है बल्कि अन्य पत्रकारो द्वारा लिखे गए समाचारो को अपने नाम से छपवाने का हुनर रखने वाला ये पत्रकार पुलिस के बड़े अधिकारियो का अपने अपको बहोत करीबी बताता है। सूत्रो के अनुसार प्रदेश के कई महत्वपूर्ण पदो पर तैनात रह चुके आला अधिकारी इस बड़बोले पत्रकार की चमक दमक से शायद भ्रमित भी हुए । सूत्रो के अनुसार अपने आपको वरिष्ठ पत्रकार बता कर अधिकारियो को भ्रमित करने वाला ये पत्रकार त्योहारो के अवसर पर आला अफसरो को अपने घर पर बुलाता है और घर आए अधिकारियो के साथ खिचवाई गई फोटुओ को सोशल मीडिया के माध्यम से आम लोगो तक पहुॅचा कर लोगो पर ये विश्वास जमाने का प्रयास करता है कि उसके अधिकारियो से बहोत गहरे सम्बन्ध है। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार बड़े अधिकारियो के साथ खिचवाई गई फोटुओ का सहारा लेकर ये बड़बोला पत्रकार कई इन्स्पेक्टरो के मनचाही जगह पर तैनाती के लिए भी उनसे धन उगाही कर चुका है यही नही सूत्रो ने चैकाने वाली जानकारी देते हुए बताया है कि इस बड़बोले पत्रकार के घर के आलीशान कमरो मे मौजूद खूबसूरत कीमती फर्नीचर पूर्व मे पुराने लखनऊ मे तैनात रहे तीन इन्स्पेक्टरों द्वारा खरीद कर दिया गया था । सूत्रो के अनुसार बिल्डरो और प्रापर्टी डीलरो की दलाली करने वाले इस बड़बोले पत्रकार का शाही खर्च अखबार की तन्खा से तो पूरा नही हो सकता क्यूकि सूत्रो ने बताया है कि इस बड़बोले पत्रकार को समाचार पत्र से किसी तरह का कोई वेतन नही मिलता है। सूत्रो के अनुसार अखबार के नाम का सहारा लेकर ये बड़बोला पत्रकार प्रापर्टी डीलरो बिल्डरो के गैर कानून काम करा कर उनसे मोटी रकम ऐंठता है। सूत्र कहते है कि अगर इस बड़बोले पत्रकार की सम्पत्ति की जाॅच हो जाए तो बिना तन्खा के समाचार पत्र मे नौकरी करने वाले इस बड़बोले पत्रकार की शानो शौकत की असलियत सामने आ सकती है।
अपनी ब्रान्डिग में लगातार जुटा है पुराने लखनऊ का तथाकथित सवाज सेवी
पुराने लखनऊ का रहने वाला तथाकथित समाज सेवी अपने आपकी ब्रान्डिग करने की होड़ मे लगातार मेहनत कर रहा है सोशल मीडिया के माध्यम से अपने आपको शहर का सबसे बड़ा समाज सेवी साबित कर आए दिन समाज सेवा के क्षेत्र मे अवार्ड लेकर शहर के कुछ भोले भाले पत्रकारो के साथ खिचवाई गई फोटुओ के सहारे अपने आपको समाज का सच्चा हितैशी साबित करने की होड़ मे जुटे पुराने लखनऊ मे रहने वाला तथाकथित समाज सेवी लगातार अपनी बा्रन्डिग की जुगाड़ मे लगा हुआ है। सूत्र बताते है कि पुराने लखनऊ के बाशिन्दे एक तथाकथित समाज सेवी की समाज सेवा सिर्फ सोशल मीडिया तक ही महदूद है जमीनी स्तर पर इसके द्वारा समाज मे रहने वाले कुछ गरीब मजबूर लोगों का उत्पीड़न किया जा रहा है और सोशल मीडिया पर झूठी समाज सेवा का ढिढोरा पीटा जा रहा है। सूत्रो के अनुसार पुराने लखनऊ के संवेदीशील क्षेत्र मे रहने का इसे बड़ा लाभ मिलता है समाज मे अमन चैन कायम रखने के लिए पुलिस विभाग के कन्धे से कन्धा मिला कर चलने का नाटक करने वाला ये तथाकथित समाज सेवी पुलिस के सहयोग के नाम पर पुलिस अधिकारियो के साथ फोटो खिचवा कर उन्ही फोटुओ का दुरूपयोग कर समाज मे रूतबा बना रहा है। सूत्रो के अनुसार बदनाम पारिवारिक पृष्ठ भूमि वाला ये तथाकथित समाज सेवी अकूत सम्पत्ति का मालिक बन गया है और अपने आपको बड़ा समाज सेवी साबित कर लोगो पर चमक दमक का रौब गांठ कर ये तथाकथित समाज सेवी अब समाज सेवी से माननीय बनने की दिशा मे आगे बढ़ते हुए चुनाव चुनाव के मैदान मे अपनी किसमत आज़मान कर चुनाव जीत कर विधायक बनने के सलोने सपने देख रहा है। सूत्रो के अनुसार विधायकी का चुनाव लड़ने की इसकी माली हैसियत तो है लेकिन चुनाव ज़मीनी स्तर पर समाज सेवा करने के बाद जीता जा सकता है लेकिन ज़मीनी स्तर पर समाज सेवा न तो इस तथाकथित समाज सेवी द्वारा की गई है और न ही इसके परिवार मे कोई ऐसा व्यक्ति गुज़रा है जिसने बिना निजी स्वार्थ के किसी बेबस मजबूर का सहयोग किया हो। सूत्रो के अनुसार इस तथाकथित समाज सेवी की तीन पीढ़िया गुज़र चुकी है जिसमे इससे पहले इसके तीन करीबी रिश्तेदारो ने अपने आसपास रहने वाले तमाम गरीब बेबस मजबूर गरीब सड़क पर ठेला खुमचा लगाने वालो का सिर्फ दोहन कर अपने घर की मज़िले ऊॅची की है उसी राह पर ये तथाकथित समाज सेवी भी चल रहा है। सूत्र यहां तक बताते है कि पहले सोशल मीडिया का ज़माना नही था इस लिए इसके रिश्तेदारो द्वारा किए गए गरीबो के दोहन की सच्चाई सामने नही आ पाई लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से अपने आपको शहर का सबसे बड़ा समाज सेवी साबित करने की होड़ मे ये तथाकथित समाज सेवी अपने उन गुरूओ की आॅख मे भी अब खटकने लगा है जिनकी बदौलत समाज मे इस तथाकथित समाज सेवी की पहचान बनी है।