जुर्माने से नही कोरोना से बचना है कोरोना अब तबाह न करे इस लिए रहो होशियार


मोहम्मद शमशुददीन

साल 2020 पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी साल साबित हुआ । साल 2020 में भारत समेत पूरे विश्व में कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया के इन्सानो को आर्थिक शारिरिक और सामाजिक दृष्टी से तबाह बरबाद किया । कोरोना वायरस की चपेट मे आकर लाखो लोगो की जाने चली गई। करोड़ो लोगो को आर्थित तौर से कोरोना वायरस ने तबाह बर्बाद कर दिया और पूरे विश्व को आर्थिक मंदी की खाई मे धकेल दिया। कोरोना वायरस ने अकेले भारत मे ही डेढ़ लाख से ज़्यादा लोगो की जाने ले ली लेकिन शुक्र है भारत वासियो द्वारा एक जुटता के साथ लड़ी गई । कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई मे कोरोना वायरस पर काबू पाया गया और कोरोना वायरस अब अंतिम सांसे ले रहा है। भारत ऐसा पहला देश साबित हुआ जिसने सबसे पहले कोरोना वैकसीन सिकसित कर भारत के लोगो को ही नही बल्कि विश्व के कई देशो मे रहने वाले लोगो को भेज कर कोरोना वायरस से बचाने के लिए अग्रणी भूमिका निभाई लेकिन कोरोना अभी पूरी तरह से गया नही है। विश्व के कई देशो मे कोरोना ने दोबारा दस्तक दी है जिसकी रोकथाम के लिए फिर से लाक डाउन की घोषणा की गई है । भारत मे भी कई शहरो मे कोरोना फिर से जन्म लेने के संतेक दे रहा है इसका मतलब ये है कि देशवासियो को लापरवाह नही रहना है कोरोना वायरस इन्सानी जानो के लिए खतरा बनने वाला ऐसा अदृश्य वायरस है जो दिखाई नही देता है बल्कि चुपके से शरीर के अन्दर घुस कर वार करता है । इस इन्सानी दुशमन से अगर कोई लड़ सकता है तो वो खुद इन्सान ही लड़ सकता है । कोरोना से बचने के लिए सबसे बेहतर लड़ाई है इसे करीब न आने देने की लड़ाई । कोरोना करीब न आए इसके लिए जो एहतियात बताए गए है उन पर तब तक अमल करते रहना चाहिए जब तक विशेषज्ञ खुद न कहे कि कोरोना अब समाप्त हो गया है। इस लिए दो गज़ की दूरी मास्क है ज़रूरी साथ ही सफाई और प्रदूषण रहित वातावरण को बनाने में मेहनत करते रहे । मास्क हमे जुर्माने से नही बल्कि कोरोना से बचने के लिए लगाना है।

कोरोना ने कफ़न को पीपीई किट मे कर दिया तब्दील अपनो को अंतिम संस्कार से कर दिया वंचित

दुनिया का कोई भी धर्म हो सभी धर्म इन्सानी शव का आदर सम्मान करने का संदेश देते है लेकिन कोरोना वायरस से जितनी भी मौते हुई है उन मौतो के बाद ये देखने को मिला है कि सभी धर्मो के संदेशो के उपर कोरोना वायरस हावी हो गया और कोरोना के बोझ के नीचे सभी धर्मो की रस्मे दब कर मरने वाले के साथ ही चली गई। कोरोना वायरस से मरने वाले इन्सानो को कफन की जगह नसीब हुई पीपीई किट । अपनो के कन्धो की जगह मिले पीपीई किट पहने हुए स्वाथ्य कर्मचारियो के चार कन्धे । मृत्यु के बाद होने वाली धार्मिक रिति रिवाज से वंचित रह गया मृतक । कोरोना से मरने वाले को ऐसा समझा गया जैसे मरने वाला कोई इन्सान न होकर कोई बम हो ऐसा बम जिसे छूने और पास जाने से फट जाएगा। कोरोना वायरस से मरने वाले इन्सानो के अपने मरने वाले का चेहरा तक देख नही पाए । हिन्दू धर्म मे मरने वाले को आदर सम्मान पूर्वक कान्धो पर ले जाकर शमशान की चिता पर लिटा कर अग्नि दी जाती थी लेकिन कोरोना से मरने वाले लोगो के साथ ऐसा नही हो पाया । इस्लाम मज़हब में मरने वाले को नहला कर कफनाया जाता है उसके जनाज़े को सैकड़ो लोग कन्धा देकर कब्रिस्तान ले जाते है फिर मज़हबी रिति रिवाज के अनुसार उसे कब्र मे उतारा जाता है मुर्दे को कब्र मे उतारने के लिए दो व्यक्तियों को कब्र के अन्दर उतरना पड़ता है इसी तरह से सिखो और इसाईयो मे भी जब कोई व्यक्ति मरता है तो धार्मिक रिति रिवाज के अनुसार आदर सम्मान पूर्वक उसका अंंितम संस्कार किया जाता है लेकिन 25 मार्च 2020 के बाद भारत मे कई महीनो तक कोरोना से मरने वाले लोगो के शवो की जो दुर्गती देखने को मिली वो लोगो को बरसो बरस याद रहेगी। कोरोना से मरने वाले किसी बेटे का चेहरा उसकी उस मां ने नही देखा जिसने उसे जन्म दिया । किसी मा के शव को उसके बच्चे नही देख पाए किसी पति को पत्नी नही देख पाई किसी पत्नी को पति नही देख पाया किसी पिता के शव को बेटो ने नही देखा तो किसी बेटे बेटी के शव को पिता नही देख पाए। कोरोना से मरने वाले का शव देखना तो दूर की बात उसके शव के साथ कब्रिस्तान तक उसके अपने खास रिश्तेदार नही जा पाए। बिना गुसल के बिना कफन के पीपीई किट समेत हज़ारो मुसलमानो के शवो को कब्र मे पीपीई किट समेत धकेल दिया गया । हज़ारो हिन्दुओ के शवो को बिना रस्मो रिवाज के चिता पर लिटाए बिना अपनो के कन्धो से चिता तक पहुॅचाए उनके शवो को अपनो की बजाए गैरो से जलवा दिया गया । इसी तरह की दुर्गती लगभग कोरोना से मरने वाले सभी धर्मो के लोगो के साथ हुई। ये ऐसा दुख है जो हमे कोरोना वायरस ने दिया । ये दुख शायद ही वो लोग कभी भूल पाए जिन्हे इस दुख का सामना कोरोना वायरस ने करवाया है। दुनिया मे जो जिवित आया है उसे मरके इस दुनिया से जाना है लेकिन मरने के बाद शव की ऐसी दुर्गती न हो इसके लिए हम सब को मिल कर कोरोना वायरस के खिलाफ तब तक जंग जारी रखनी है जब तक कोरोना वायरस पूरी तरह से समाप्त न हो जाए।

लाक डाउन ने बचाई हज़ारो जाने कोरोना ने नही बख्शा

नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो एनसीआरबी के आकड़ो के अनुसार भारत मे होने वाले सड़क हादसो मे साल 2018 मे भारत मे एक साल मे डेढ़ लाख से ज़्यादा लोगों की जाने गई यानि सड़क हादसो मे रोज़ होने वाली मौतो का अगर आकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2018 मे एक दिन मे औसतन 5 सौ लोगो की जाने गई । भारत मे 68 दिनो तक सम्पूर्ण लाक डाउन रहा और इन 68 दिनो मे भारत की सड़को पर वाहन नही दौड़े और सड़क हादसे लगभग शून्य पर चले गए यानि इन 68 दिनो मे करीब 35 हज़ार लोगो की सड़क हादसो मे जान जाने से बच गई लेकिन कोरोना काल मे अकेले भारत मे डेढ़ लाख से ज़्यादा लोगो की जाने चली गई । सड़क हादसो मे या अन्य किसी कारणो से मारे जाने वाले लोग भले ही अकाल मौत के मुंह मे समा जाते है लेकिन उनके मरने के बाद उनके अपने अज़ीज़ उनके अंतिम सस्कार से वंचित नही रहते है लेकिन कोरोना वायरस से मरने वाले लगभग सभी लोग न सिर्फ धार्मिक रिति रिवाज से वंिचत होकर चले गए बल्कि मरने वालो के परिजन अपनो के शवो के न तो पास ही जा पाए और न ही उन्हे कांधा दे पाए। कोरोना वायरस हमसे हमारे अपनो के शवो के अतिंम संस्कार पर धार्मिक रिति रिवाज और भावनात्मक लगाव का हक़ न छीन पाए इस लिए इस ज़ालिम कोरोना को पूरी तरह से जागरूक रह कर हराना ही होगा । मास्क लगाए और दो गज़ की दूरी बरकरार रख्खें।

अधर्मी कोरोना ने लगवाए थे धर्म स्थलो पर ताले

साल 2020 मे जालिम कोरोना वायरस ने पूरी दुनियां में लाखो लोगो की जान लेकर न सिर्फ उनके शवो से अपनो को दूर किया बल्कि सभी धर्मो के लोगो की इबादतगाहो पर ताले लगवा दिए । ये ऐसा दुख था जो शायद पिछले सौ सालो मे किसी भी व्यक्ति ने अपने जीवन काल मे पहले कभी नही देखा हो । अक्सर देखा जाता है कि जब किसी के अपने की मृत्यु होती है तब मरने वाले के परिजन अपने धर्म के हिसाब से न सिर्फ उसका अंतिम संस्कार करते है बल्कि अंंितम सस्कार के बाद अपने अपने धर्म स्थलो मे मरने वाले की आत्मा की शान्ती के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते है और इबादतगंाह ऐसी जगह मानी जाती है जहंा बड़े से बड़े दुख वाले व्यक्ति को भी शान्ती का आभास होता है लेकिन पूरी दुनियंा के लोगो के दिलो दिमाग मे अशान्ती पैदा कर सभी को मुसीबत मे डालने वाले अधर्मी कोरोना वायरस ने इन्सान को अपने घरो के अन्दर ही कैद कर के रख दिया ऐसी बेबसी केे हालात मे किसी भी धर्म का कोई भी व्यक्ति इस खतरनाक बीमारी से निजात पाने की दुअंा करने के लिए अपनी इबादतगाह भी नही पहुॅच सका क्यूकि कोरोना वायरस ने सभी इबादतगाहो के दरवाज़ो पर ताले लगवा दिए थे । हमारी इबादतगाहो पर फिर से कोरोना वायरस की छाया न पड़े इस लिए सतर्कता ज़रूरी है।

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