लालच बुरी बला है और इस बुरी बला से दूर रहना ही समझदारी है

मोहम्मद शमशुद्दीन

जो सुख हमे मिलना ही नही है और जो सुख हमारे सुकून चैन मान मर्यादा का दुश्मन साबित होता है वास्तविक दृष्टि से न मिलने वाले उस सुख को हमे अपने मन से त्यागने में दिक्कत क्या है।

सरल भाषा मे अगर कहा जाए तो स्पष्ट बात ये है कि बेटे की शादी में बेटे की सुसराल से मिलने वाला दहेज आखिर किसको मिलता है?

जिस युवती की शादी होती है उसे मिलता है या उसके पति को मिलता सास को मिलता है ससुर को मिलता या देवर ननद ननदोई को मिलता है।

वास्तविक तौर पर अगर देखा जाए तो लड़की के माता पिता शादी को शानदार बनाने के लिए जो दहेज देते है उस दहेज का 98 प्रतिशत हिस्सा उसी लड़की के काम आता है लेकिन दहेज देने से पहले दिए जाने वाले दहेज के सामान की सूची पर हस्ताक्षर अधिकतर लड़की के ससुर से करवा कर सामान की सुरक्षा की गारंटी दुल्हन के ससुर यानी दूल्हा के उस बाप से ली जाती है जिससे दहेज में नाम मात्र उसके इस्तेमाल की लिए एक या दो जोड़ी कपड़े मिलते है जबकि अमूमन देखने को मिलता है कि ससुर द्वारा जिस दहेज की सूची पर हस्ताक्षर कर पूरे दहेज की रिसीविंग की गारंटी ली जाती है और लड़के का हस्ते मुस्कुराते हुए दहेज की सूची पर हस्ताक्षर करता है।

लाड़ प्यार से पाल पोस कर पढा लिखा कर अच्छा रोजगार या नौकरी करवा कर अपने बेटे को आत्मनिर्भर बनाने वाले माता पिता को बेटे की शादी में लड़की पक्ष की तरफ से मात्र एक या दो जोड़े कपड़े पाकर संतोष और खुशी का एहसास होता है। अधिकतर माता पिता का अपने बेटे के साथ ज़िन्दजी के सफर का बेटे की शादी के साथ अंत होना शुरू हो जाता है।

बहोत कम ऐसा होता है कि शादी के बाद अपने मायके से अपने माता पिता भाई बहन को छोड़ कर अपनी सुसराल आने वाली विवाहिता अपने सास ससुर को वास्तविक माता पिता का और अपने देवर ननद को भाई बहन का दर्जा देती हो।

ये भी बहोत कम ही देखने को मिला है कि बहु को सास ससुर बेटी का दर्जा दे या देवर ननद बहन का दर्जा दे

दुनियां में सास बहू ननद भाभी देवरानी जेठानी का रिश्ता हमेशा सवालों के घेरे में ही देखा गया है।

शादी में दहेज में मिलने वाला फर्नीचर जैसे सोफा कुर्सी तो कुछ दिनों के लिए शायद सास ससुर देवर ननद के बैठने के काम आ जाए लेकिन दहेज में मिलने वाले ज़ेवर महंगे कपड़े कीमती क्रॉकरी बर्तनो का इस्तेमाल शायद ही दुल्हन किसी सुसराल के रिश्तेदार को करने देती हो।

बेचारे वो मां बाप जिन्होंने अरमानों के साथ अपने बेटे की शादी की थी उन्ही माँ बाप को उनकी बहू अजनबी बनाने में पूरी ताकत झोंक देती है।

कुछ सासे अपनी बहू के खुशहाल जीवन मे अशांति का ज़हर घोलती है कुछ ननदे अपनी भाभी को दुश्मन लेती है।

लड़के के माता पिता अपनी औलाद पर अपने अधिकार का दावा करते है तो बात बिगड़ना शुरू हो जाती है।

बेचारे बेटे ने अगर जायज़ बात करते हुए जन्म देने वाले माता पिता को सम्मान देते हुए उनके हक़ में बात की तो पत्नी और सुसराल का बुरा अगर जीवन सँगनी पत्नी के पक्ष की बात की तो माँ बाप भाई बहनों की नज़र में जोरू का गुलाम।

धार्मिक और सामाजिक रीति रिवाज के अनुसार अपने मायके से सुसराल रुखसत होकर आई बहु का अगर सब्र जवाब दे गया और वो सुसराल को क़ैद खाना मान कर क़ैद खाने से आज़ाद होकर मायके चली गई और मायके वालों ने भी समझदारी से काम न लेते हुए उसका साथ दिया तो अब यहां से महिला उत्पीड़न और दहेज के लिए प्रताड़ना का मुद्दा गरमाने लगता है।

करीबी रिश्तेदारो के हस्तक्षेप से भी अगर पति पत्नी के बीच सुलह की कोशिश विफल हुई तो अब मामला पुलिस के पास जाना तो लाज़मी है।

यहां गौर करने वाली बात दुल्हन की तरफ से पुलिस को दी जाने वाली तहरीर में देखने को मिलेगी वो ये की युवती द्वारा पति और सास ससुर देवर ननद पर ये आरोप ज़रूर लगाया जाएगा कि सास ससुर देवर ननद द्वारा कम दहेज लाने के लिए प्रताड़ित किया गया दहेज में लाखों रुपये मांगे गए मकान दुकान गाड़ी आदि की मांग की गई।

हालांकि महिला द्वारा दहेज की मांग वाला जो आरोप लगाया जाता है उसमें सच्चाई की मात्रा को कम करके आंकना भी मुनासिब नही है। अक्सर होता यही है है कि सास ननद बहु को दहेज के लिए ताने तो देती ही रहती है।

भले ही बहु के दहेज में मिलने वाले ज़ेवर गहने कपड़े बर्तन फर्नीचर टीवी फ्रिज एसी का एक प्रतिशत हिस्सा भी लड़के के माता पिता भाई बहन के काम न आए लेकिन अधिकतर लड़को के माता पिता भाई बहनों का प्रयास और चाहत यही होती है दहेज भरपूर मिले। दहेज में दुनिया की हर शय मौजूद हो चाहे घर मे दहेज रखने की जगह हो या न हो।

ये मालूम होते हुए भी की बहू के दहेज में मिलने वाले जिस ज़ेवर गहने धन दौलत और कीमती सामान की सूची पर हस्ताक्षर करके वो दहेज के ज़िम्मेदार बनते है उसे न पाकर भी वो दहेज लोभी कहला कर दहेज के लिए प्रताड़ित करने के आरोपी बन कर सज़ा के हकदार ज़रूर बनेंगे लेकिन सब कुछ जानते बूझते हुए भी लोग धनी परिवार की बेटी को ही अपने घर की बहू बनाने की चाहत रखते है।

यहां ऐसे लोगो को ये सोंच कर जागरूक होकर दूसरे माता पिताओं को भी जागरूक करने की ज़रूरत है जो बेटे की शादी में मिलने वाले दहेज में अपना मान सम्मान और सुख सुविधाएं देखते है।

लड़को के माता पिताओं को भारत की अदालतों में चल रहे दहेज प्रताड़ना के लाखों मुकदमो की गिनती में कमी लाने के प्रयास करने चाहिए नाकि मुकदमो की संख्या में बढ़ोतरी करने की।

वास्तविकता पर पूरी ईमानदारी और समझदारी के साथ विचार करना ही ईमानदारी और समझदारी है।

ऐसी लालच जो सिर्फ रुसवाई सामाजिक तिरस्कार और कानूनी तौर पर अपराधी बना दे ऐसे लालच से दूर रहना ही समझदारी है।

दहेज लेना और दहेज देना सामाजिक बुराई है आओ इस बुराई को खत्म करने में भागीदार बनें।

दहेज रिश्तों और इंसानियत का दुश्मन है इस लिए दहेज के दानव को मिलकर समाप्त करना हम सब की नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है आओ मिल कर करे रिश्तों की कद्र और दहेज का विरोध।

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